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Write an essay on corruption in 300 to 500 words.भ्रष्टाचार पर निबंध 300 से 500 शब्द में लिखे।

भ्रष्टाचार भारतीय समाज की उन प्रमुख समस्याओं में से एक है जिसने देश को गहराई तक प्रभावित किया है। यह केवल आर्थिक या राजनैतिक समस्या नहीं है, बल्कि यह नैतिक पतन का द्योतक भी है। भ्रष्टाचार का सीधा अर्थ है— ईमानदारी और नैतिकता से हटकर निजी स्वार्थ के लिए अनुचित कार्य करना। जब कोई व्यक्ति अपने पद या अधिकार का दुरुपयोग कर रिश्वत लेता है या अनैतिक मार्ग से लाभ उठाता है, उसे भ्रष्टाचार कहते हैं।

भ्रष्टाचार की समस्या
आज भ्रष्टाचार हमारे जीवन के लगभग हर क्षेत्र में देखने को मिलता है। चाहे सरकारी दफ्तर हों, शिक्षा संस्थान हों, स्वास्थ्य केंद्र हों या फिर राजनीति का क्षेत्र— सभी जगह यह किसी न किसी रूप में व्याप्त है। कई बार आम नागरिक को अपने मूल अधिकार या छोटे-से काम के लिए भी घूस देनी पड़ती है। इसके कारण न केवल व्यक्ति का आर्थिक शोषण होता है, बल्कि समाज में असमानता भी बढ़ती है।

भ्रष्टाचार के कारण

(i) लालच और स्वार्थ: अधिक धन और वैभव पाने की असीमित इच्छा।

(ii) कमज़ोर कानून व्यवस्था: अपराध करने वालों को कठोर दंड न मिलना।

(III)शिक्षा में नैतिक मूल्यों की कमी  : युवा वर्ग में नैतिक और चारित्रिक शिक्षा का अभाव।

(iv) गरीबी और बेरोजगारी: कई लोग जीवनयापन के लिए गलत रास्ते अपनाने लगते हैं।

(v) राजनीतिक भ्रष्टाचार: जब सत्ता ही बेईमानी का सहारा लेती है, तो समाज के अन्य वर्ग भी उसी राह पर चलने लगते हैं।

भ्रष्टाचार के दुष्परिणाम
(i) भ्रष्टाचार राष्ट्र की प्रगति और विकास में सबसे बड़ा अवरोध है।

(ii) यह प्रतिभाओं को पीछे धकेलता है और अयोग्य व्यक्तियों को आगे बढ़ाता है।

(III) समाज में अमीर और गरीब के बीच खाई और गहरी हो जाती है।

(iv) जनता का विश्वास शासन व व्यवस्था से उठ जाता है।

(v) यह गरीबी, बेरोजगारी और अपराध को जन्म देता है।

(v) देश की अंतरराष्ट्रीय छवि भी धूमिल होती है।

भ्रष्टाचार उन्मूलन के उपाय

(i) कड़े और निष्पक्ष कानून: अपराधियों को कठोर दंड मिलना चाहिए।

(ii) पारदर्शिता और जनभागीदारी: सूचना का अधिकार जैसे कानून जनता को ताकत देते हैं।

(III)शिक्षा में सुधार: बच्चों और युवाओं को नैतिक शिक्षा और ईमानदारी का महत्व सिखाना होगा।

(iv) जागरूक नागरिक: यदि हर नागरिक ईमानदारी की शपथ ले और भ्रष्टाचार का विरोध करे, तो धीरे-धीरे इसका खात्मा संभव है।

(v) राजनीतिक सुधार: राजनीति में स्वच्छ छवि वाले नेताओं को आगे लाना।

निष्कर्ष
भ्रष्टाचार किसी भी राष्ट्र की वृद्धि की गति को धीमा कर उसकी नींव को कमजोर कर देता है। यह केवल सरकार या व्यवस्था की समस्या नहीं, बल्कि हर नागरिक से जुड़ा हुआ मुद्दा है। यदि हम सभी अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति सजग रहें और ईमानदारी को जीवन का आधार बनाएं, तभी भ्रष्टाचार-मुक्त भारत का निर्माण हो सकेगा।

निष्कर्षत
भ्रष्टाचार एक गहरी बीमारी है, लेकिन यदि समाज की सोच बदले, कानून सख्त हों और प्रत्येक नागरिक ईमानदारी का मार्ग अपनाए, तो एक नया, स्वच्छ और समृद्ध भारत निश्चित ही बन सकता है।

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