भारत में सीमेंट उद्योग की शुरुआत वर्ष 1904 में हुई थी, जब पहला सीमेंट कारखाना गुजरात के पोरबंदर में स्थापित किया गया। हालांकि, उत्पादन का पहला प्रयास चेन्नई में 1904 में किया गया था जो सफल नहीं था। असली विकास 1912-13 में पोरबंदर में सफल कारखाने की स्थापना और फिर 1914 में कटनी (मध्यप्रदेश) तथा 1916 में लखेरी (राजस्थान) में सीमेंट उत्पादन शुरू होने के साथ हुआ। 1924 में भारत सरकार ने इस उद्योग को संरक्षण दिया। स्वतंत्रता के बाद योजना अवधि में इस उद्योग ने तेजी से विकास किया। वर्ष 2018 में भारत की सीमेंट उत्पादन क्षमता 509 मिलियन टन प्रतिवर्ष थी, जिसमें निजी क्षेत्र का 98% हिस्सा है। भारत में सीमेंट उत्पादन का प्रमुख केंद्र मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्य हैं। वर्तमान में भारत विश्व के शीर्ष सीमेंट उत्पादकों में शामिल है और वर्ष 2025 तक इसकी मांग 550-600 मिलियन टन प्रति वर्ष तक पहुंचने की संभावना है।
भारत में सीमेंट उद्योग की विकास यात्रा
(i) आधुनिक सीमेंट की खोज वर्ष 1824 में इंग्लैंड में हुई।
(ii) भारत में पहला प्रयास 1904 में चेन्नई में हुआ, जो विफल रहा।
(III) सफल उत्पादन पोरबंदर में 1912-13 में शुरू हुआ।
(iv)मुख्य कारखाने कटनी, लखेरी, पोरबंदर में स्थापित हुए।
(v) 1924 में उद्योग को सरकारी संरक्षण मिला।
स्वतंत्रता पश्चात योजना काल में तेजी से विस्तार।
वर्तमान स्थिति और उत्पादन
(i) वर्ष 2018 में उत्पादन क्षमता 509 मिलियन टन प्रति वर्ष।
(ii) 2018-19 में वास्तविक उत्पादन करीब 337 मिलियन टन था।
(III) निजी क्षेत्र का योगदान 98% है।
(iv)मुख्य उत्पादन क्षेत्र: आंध्र प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, केरल।
(v) वर्ष 2025 तक मांग 550-600 मिलियन टन तक बढ़ेगी।
महत्व और भौगोलिक वितरण
(i) भारी कच्चे माल जैसे चूना पत्थर, जिप्सम का उपयोग।
(ii)कारखाने कच्चे माल के निकट स्थापित।
(III) तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख सीमेंट उत्पादक राज्य।
(iv) सीमेंट का उपयोग आवास, वाणिज्यिक और औद्योगिक निर्माण में होता है।
इस प्रकार, भारत में सीमेंट उद्योग ने एक लंबा विकास सफर तय किया है और यह देश की आर्थिक और अवसंरचना विकास में एक अहम भूमिका निभा रहा है।

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