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एड्स (AIDS) से संबंधित महत्वपूर्ण नोट्स

एड्स (AIDS) का पूरा नाम Acquired Immunodeficiency Syndrome है, और यह एचआईवी (HIV) वायरस के संक्रमण के कारण होता है। एचआईवी (HIV) का पूरा नाम Human Immunodeficiency Virus है।

एचआईवी के कारण:
एचआईवी वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है, विशेषकर CD4 कोशिकाओं (टी-हेल्पर कोशिकाओं) पर। इसके कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और व्यक्ति विभिन्न संक्रमणों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।

एचआईवी के संचरण के कारण:
1. असुरक्षित यौन संबंध: संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से।
2. संक्रमित रक्त: संक्रमित रक्त या रक्त उत्पादों का स्थानांतरण।
3. संक्रमित सुइयों का उपयोग: ड्रग्स लेने के लिए उपयोग की गई संक्रमित सुइयों का साझा करना।
4. माँ से बच्चे में: गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान संक्रमित माँ से बच्चे में।

लक्षण:
एचआईवी संक्रमण के प्रारंभिक लक्षण अक्सर सामान्य सर्दी या फ्लू जैसे होते हैं, जैसे:
1. बुखार
2. ठंड लगना
3. जोड़ों में दर्द
4. मांसपेशियों में दर्द
5. गले में खराश
6. थकान
7. सूजन ग्रंथियाँ
8. त्वचा पर दाने

जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, व्यक्ति को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:
1. तेजी से वजन कम होना
2. बार-बार बुखार या अत्यधिक पसीना आना (रात को)
3. लंबे समय तक थकान
4. सूजन ग्रंथियाँ
5. दस्त
6. मुंह, गले, या जननांगों में छाले
7. निमोनिया
8. त्वचा पर धब्बे या घाव

निवारण:
एचआईवी संक्रमण से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
1. सुरक्षित यौन संबंध: कंडोम का उपयोग करें।
2. नियमित जाँच: एचआईवी टेस्ट करवाएं, खासकर अगर आपको संक्रमण का खतरा हो।
3. संक्रमित सुइयों का उपयोग न करें: ड्रग्स का सेवन न करें और सुइयों को साझा न करें।
4. प्रेगनेंसी के दौरान सावधानी: अगर माँ एचआईवी पॉजिटिव है, तो डॉक्टर की सलाह अनुसार इलाज कराएं ताकि बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सके।
5. पीईपी (PEP) और पीआरईपी (PrEP) का उपयोग: यदि आपको संक्रमण का खतरा है, तो प्रोफिलैक्सिस (निवारक इलाज) के लिए पीईपी और पीआरईपी का उपयोग किया जा सकता है।

 उपचार:
एचआईवी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) के द्वारा संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। यह इलाज वायरस की वृद्धि को रोकता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, जिससे व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। नियमित रूप से एआरटी (ART) दवाइयों का सेवन और डॉक्टर की निगरानी आवश्यक है।
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