चंद्रयान
By Vinod Kumar
चंद्रयान - 1
चंद्रयान - 1 चंद्रमा पर जाने वाला पहला मिशन था जिसको 22 अक्टूबर, 2008 को एसडीएससी (सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र ) शार, श्री हरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया और इसे 2009 तक संचालित किया गया था
इस मिशन मे एक ऑर्बिटर और एक एमआईपी शामिल था ।
इस मिशन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो ) द्वारा लॉन्च किया गया था ।
इसमे पीएसएलवी - एक्सएल रॉकेट का उपोयग किया गया था ।
पीएसएलवी - पोलर सैटेलाइट लॉन्च वीइकल
यान को 8 नवंबर 2008 मे कक्षा मे स्थापित किया गया था ।
लगभग एक वर्ष के बाद ऑर्बिटर को स्टार ट्रैकर की विफलता और खराब थर्मल परिरक्षण और कई तकनीकी समस्याओं का सामना करना पद था ।
इस यान से अंतिम संपर्क 28 अगस्त 2009 को हुआ था ।
इस मिशन के तहत इसरो चंद्रमा की सतह तक पहुँचने वाला पाँचवा राष्ट्रीय एजेंसी बनी गई ।
इस मिशन का अनुमानित बजट 386 करोड़ रुपये थी ।
इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के सतह का दो सालों तक सर्वेक्षण करना , ताकि चंद्रमा के सतह पर रासायनिक सरंचना और त्रि - आयामी स्थलाकृति का पूरा नक्शा तैयार किया जा सके ।
चंद्रमा के सतह की मिट्टी पर पानी के अणुओं की अव्यापक उपस्थति की खोज किया था ।
प्राचीन चंद्र लावा प्रवाह द्वारा निर्मित चंद्र गुफाओं के साक्ष्य प्राप्त हुए है ।
इस मिशन की घोषणा अटल बिहारी वाजपेयी ने 15 अगस्त, 2003 के स्वतंत्रता दिवस के दिन कर दिए थे ।
चंद्रयान - 2
22 जुलाई, 2019 को भारत के श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र मिशन चंद्रयान - 2 को लॉन्च किया गया। जिसमे एक ऑर्बिटर , विक्रम लैंडर प्रज्ञान रोवर भी शामिल है, जो चंद्रमा के बारे मे सम्पूर्ण अध्ययन करेगा ।
चंद्रयान - 2 का कुल वजन 3,877 किग्रा है ।
इसमे जीएसएलवी एमके तृतीय एम 1 द्वारा सफलता पूर्वक लॉन्च किया गया था ।
इस यान तीन मे एक है जिसमे चन्द्रम के ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर भी शामिल है ।
इसमे सम्मिलित ऑर्बिटर 100 किमी दूर से चंद्रमा का परिक्रमा करेगा ।
लैंडर( विक्रम ) और रोवर( प्रज्ञान ) एक दूसरे से अलग होकर चंद्रमा के सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेंगे ।
लैंडर ( विक्रम ) का कार्य यह है की वह चंद्रमा के सतह स्थिर रहेगा और वहाँ के वातावरण का मुख्य रूप से अध्ययन करेगा ।
रोवर ( प्रज्ञान ) यह एक छह पहियों वाला चालित वाहन है , जो सौर ऊर्जा से संचालित होता है।
रोवर ( प्रज्ञान ) का मुख्य कार्य यह है की चंद्रमा के सतह की संरचना का और वहाँ उपस्थित अलग अलग प्रकार के तत्वों की प्रचुरता का आकलन करना ।
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य यह की चंद्रयान -1 द्वारा दिखाए गए पानी के अणुओ के सबूतों का विस्तार पूर्वक अध्ययन करना ।
चंद्रमा के सतह का मानचित्र और त्रि - आयामी चित्र तैयार करे ।
अगर इस मिशन मे भारत सफलता प्राप्त करता है तो ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा ।
चंद्रयान - 3
14 जुलाई, 2023 को भारत के श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र मिशन चंद्रयान - 3 को लॉन्च किया गया। जिसमे एक ऑर्बिटर , विक्रम लैंडर प्रज्ञान रोवर भी शामिल है, जो चंद्रमा के बारे मे सम्पूर्ण अध्ययन करेगा ।
इस मिशन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो ) द्वारा लॉन्च किया गया था ।
इस मिशन मे एलवीएम - 3 एम - 4 की सहायता से लॉन्च किया गया है ।
पोलैंड का कुल वजन 3900 किग्रा है ।
जब विक्रम ( लैंडर ) चंद के दक्षिणी ध्रुव का स्पर्श करने वाला भारत विश्व का चौथा देश बन गया है ।
इससे पहले दक्षिणी ध्रुव पर मात्र तीन देश रूस , अमेरिका और चीन ने ही दक्षिणी ध्रुव पर अपने लैंडर उतारे है ।
लैंडर ( विक्रम ) - तापीय चालकता और तापमान को मापने के लिए चंद्रमा की सतह थर्मोफिजिकल प्रयोग लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंपीय को मापने के लिए चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण लगाए गए है । प्लाज्मा घनत्व और इसकी विविधताओ का अनुमान लगाने के लिए लैंगमुईर जांच लज्ञ गया है ।
रोवर ( प्रज्ञान )- लैंडिंग स्थल के आस पास मौलिक संरचना प्राप्त करने के लिए अल्फा पार्टिकल्स एक्स - रे स्पेक्टरोमीटर और लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्टरोस्कोप लगाया गया है ।
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य है की ( i ) चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और नरम लैंडिंग का प्रदर्शन , (ii ) रोवर को चंद्रमा पर घूमते हुए प्रदर्शित करना , और (iii ) यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना
चंद्रयान - 3 चंद्रमा के सतह पर 23 अगस्त , 2023 को चंद्रमा के सतह पर सॉफ्ट लैंडिग करवाया गया ।
मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, लैंडर में कई उन्नत प्रौद्योगिकियाँ मौजूद हैं जैसे,
अल्टीमीटर: लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर
वेलोसीमीटर: लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा
जड़त्व माप: लेजर जाइरो आधारित जड़त्वीय संदर्भ और एक्सेलेरोमीटर पैकेज
प्रणोदन प्रणाली: 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटीट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स
नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण (एनजीसी): संचालित डिसेंट ट्रैजेक्टरी डिजाइन और सहयोगी सॉफ्टवेयर तत्व
खतरे का पता लगाना और बचाव: लैंडर खतरे का पता लगाना और बचाव कैमरा और प्रसंस्करण एल्गोरिदम
लैंडिंग लेग तंत्र.


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