डीएनए का पूरा नाम डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid) है। यह कोशिका के केंद्रक (nucleus) में पाए जाने वाले गुणसूत्रों में स्थित होता है। डीएनए को जीवन का ब्लूप्रिंट भी कहा जाता है क्योंकि इसमें जीवन के लक्षण और कार्यों के लिए ज़रूरी सूचनाएँ छिपी होती हैं।
डीएनए की संरचना
डीएनए की संरचना अत्यंत संगठित और प्रभावशाली है:
डबल हेलिक्स: डीएनए दो उलझी हुई सीढ़ियों के आकार की, डबल हेलिक्स संरचना में होता है। इसे सबसे पहले वाटसन और क्रिक ने खोजा था।
न्यूक्लियोटाइड: डीएनए हजारों न्यूक्लियोटाइड्स से बना है, और प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड के तीन भाग होते हैं — डिऑक्सीराइबोज़ शर्करा, फॉस्फेट समूह, तथा एक नाइट्रोजनस बेस।
नाइट्रोजनस बेस: चार प्रकार के नाइट्रोजनस बेस होते हैं — एडेनिन (A), थाइमिन (T), गुआनिन (G), और साइटोसिन (C)। इनका अनुक्रम जीवन संबंधी सारी जानकारी सम्मिलित करता है।
पूरक आधार जोड़ी: एडेनिन हमेशा थाइमिन के साथ और गुआनिन हमेशा साइटोसिन के साथ जुड़ता है, जिससे डीएनए की संरचना मजबूत और स्थिर रहती है।
बैकबोन: शक्कर और फॉस्फेट मिलकर डीएनए के किनारे यानी बैकबोन बनाते हैं, जबकि बेस-पेयर सीढ़ी के पायदान की तरह काम करते हैं।
एंटीपैरेलल स्ट्रैंड्स: दोनों स्ट्रैंड्स विपरीत दिशा में चलते हैं, जिसे एंटीपैरेलल व्यवस्था कहते हैं।
डीएनए का महत्व
डीएनए न केवल जीवन का गठन करता है, बल्कि इसकी सही संरचना का बने रहना ही विकसित जीवों के अस्तित्व के लिए आवश्यक है। इसी में हमारी अनुवांशिक विविधता और पीढ़ी दर पीढ़ी गूढ़ रहस्य छिपे होते हैं।
डीएनए की क्रियात्मक और आणविक विशेषताएँ
(i) डीएनए जीवन की आनुवंशिक जानकारी का वाहक है तथा जीन, प्रोटीन निर्माण और वंशानुक्रम के लिए जिम्मेदार होता है।
(ii) हर जीन में न्यूक्लियोटाइड्स का विशिष्ट अनुक्रम होता है, जिससे अमीनो एसिड और प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक सूचनाएँ मिलती हैं

 
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