प्रमुख अंतःस्रावी ग्रंथियाँ
पीनियल ग्रंथि: मेलाटोनिन हार्मोन का स्राव करती है, जो नींद-जागृति चक्र को नियंत्रित करती है।
हाइपोथैलेमस: अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों पर नियंत्रण रखता है व विभिन्न हार्मोन स्रावित करता है।
पिट्यूटरी ग्रंथि (पीयूष ग्रंथि): शरीर की अधिकांश अंतःस्रावी ग्रंथियों के कार्य को नियंत्रित करती है। यह वृद्धि हार्मोन, प्रोलैक्टिन, टीएसएच आदि निर्माण करती है।
थायरॉयड ग्रंथि: थायरॉक्सिन हार्मोन बनाती है, जो चयापचय, ऊर्जा उत्पादन और शारीरिक विकास में सहायक है।
पैराथायरॉयड ग्रंथि: चार छोटी ग्रंथियाँ हैं, जो रक्त में कैल्शियम और फॉस्फेट का स्तर नियंत्रित करती हैं।
थाइमस: रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले हार्मोन (थाइमोसिन) का स्राव करती है।
अग्न्याशय (पैंक्रियास): इंसुलिन और ग्लूकागन का स्राव करता है, जो रक्तशर्करा का संतुलन बनाए रखते हैं।
अधिवृक्क ग्रंथियाँ: एड्रिनलिन, कोर्टिसोल आदि हार्मोन का निर्माण करती हैं, जो तनाव, रक्तचाप और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं।
वृषण (टेस्टिस): पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बनाते हैं, जो जनन और द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के विकास में सहायक है।
डिंबग्रंथि (ओवरी): स्त्रियों में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन बनाती हैं, जो जनन और मासिक धर्म चक्र के नियंत्रण में सहायक हैं।
अंतःस्रावी ग्रंथियों के मुख्य कार्य
(i) शरीर की वृद्धि, विकास और समन्वय स्थापित करना।
(ii) चयापचय की दर, ऊर्जा उत्पादन, जल व शर्करा का संतुलन बनाए रखना और प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करना।
(III) तनाव तथा भावनाओं की प्रतिक्रिया, प्रजनन क्षमता, और शरीर की आंतरिक स्थिरता नियंत्रित करना।
इन सभी ग्रंथियों के हार्मोन जीवन के हर चरण और प्रत्येक कार्य में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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