लिंग निर्धारण की प्रक्रिया
1.गुणसूत्रों की संरचना:
मनुष्यों में कुल 46 गुणसूत्र होते हैं, जो 23 जोड़ों में विभाजित होते हैं। इनमें से 22 जोड़े ऑटोसोम होते हैं और आखिरी जोड़ा लिंग-निर्धारण गुणसूत्रों का होता है।
महिलाओं में लिंग-निर्धारण गुणसूत्र XX होते हैं।
पुरुषों में लिंग-निर्धारण गुणसूत्र XY होते हैं।
2. युग्मक निर्माण (Gamete Formation):
(i) महिलाओं के अंडाणु (Egg) में केवल X गुणसूत्र होता है।
(ii) पुरुषों के शुक्राणु (Sperm) में या तो X या Y गुणसूत्र होता है।
3. निषेचन (Fertilization):
(i) जब अंडाणु और शुक्राणु मिलते हैं, तो जो गुणसूत्र जुड़ते हैं, वे संतति का लिंग तय करते हैं।
(ii) यदि X-bearing शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करता है, तो संतति महिला (XX) होगी।
(III) यदि Y-bearing शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करता है, तो संतति पुरुष (XY) होगी।
4. लिंग का निर्धारण संभाव्यता:
लिंग निर्धारण बेसिक रूप से एक संयोग है, जिसमें पुरुष के शुक्राणु के X या Y गुणसूत्र के आधार पर 50% संभावना से बच्चा नर या मादा हो सकता है।
5. यातायात प्रक्रिया (Theory of Heterogametic Sex):
पुरुषों में हेटेरोगैमेटिक (XY) युग्मक बनते हैं, जबकि महिलाओं में होमो gametic (XX) युग्मक बनते हैं। इसलिए, पुरुष की शुक्राणु में जो लिंग गुणसूत्र होता है, वही बच्चे के लिंग का निर्णय करता है।
मनुष्यों में लिंग निर्धारण की मुख्य प्रक्रिया Y क्रोमोसोम के आधार पर होती है। पुरुष के Y क्रोमोसोम के presence से संतति पुरुष होती है, और अकिसी (absence) में संतति महिला होती है। यह एक प्राकृतिक और आनुवांशिकी आधारित प्रक्रिया है, जिसका निर्धारण स्वतंत्र रूप से होता है, और इसके लिए न तो माता और न ही पिता अकेले जिम्मेदार होते हैं।
इस प्रकार, मनुष्यों में लिंग निर्धारण मुख्यतः XX (महिला) और XY (पुरुष) गुणसूत्रीय संयोजन पर आधारित होता है, जो शुक्राणु द्वारा निषेचन के समय तय होता है। यह प्रक्रिया आनुवंशिकी के नियमों और क्रोमोसोम आधारित सिद्धांतों से स्पष्ट होती है।
स्रोतों के अनुसार यह प्रक्रिया स्पष्ट रूप से मानव जीव विज्ञान का एक महत्वपूर्ण आधार है, जो लिंग के विकास और व्यक्तित्व निर्धारण में योगदान करती है।

 
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