- सूर्य ग्रहण
- चंद्र ग्रहण
जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो पृथ्वी के जिन क्षेत्रों में चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है तो उसे क्षेत्र में सूर्य ग्रहण कहते है। सूर्य ग्रहण पूर्ण या आंशिक हो सकता है । पूर्ण सूर्य ग्रहण में सूर्य का कोरोना भाग दिखाई देता है। चंद्रमा पश्चिम दिशा से सूर्य को ढकना आरंभ करता है और आकाश में नीला काला दिखाई देता है। एक वर्ष में न्यूनतम वर्ष 2 बार और अधिकत्तम 5 बार सूर्य ग्रहण लग सकता है। सूर्य ग्रहण के दौरान अंधकारमय काल अवधि अधिकतम 7 मिनट 40 सेकंड तक हो सकती है। औसतन यह अवधि 2.5 मिनट होती है। सूर्य ग्रहण को कभी भी खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए क्योंकि इससे आँखों को नुकसान हो सकता है ।
चंद्र ग्रहण किसे कहते है ?
जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है तो उसे चंद्र ग्रहण करते हैं । चंद्र ग्रहण आंशिक या पूर्ण हो सकता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढक जाता है। जबकि आशिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का एक भाग भी पृथ्वी की छाया केअधीन आता है। पूर्ण चंद्रग्रहण लगभग 1 घंटे 40 मिनट तक का होता है। यह स्थिति तब बनती है जब और और चंद्रमा के बीच पृथ्वी होती है पर तीनों एक रेखा में होते हैं, इस स्थिति को सिजगी कहते हैं। यह स्थिति केवल पूर्णिमा को ही बनती है। अतः चंद्र ग्रहण पूर्णिमा को ही होता है, किंतु सभी पूर्णिमा को होता है। इसका कारण यह कि पृथ्वी के सापेक्ष चंद्रमा का 5 डिग्री झुकाव है । जिन क्षेत्रों में पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देता है वहां की स्थिति को प्रच्छाया कहते हैं। और जिन क्षेत्रों में अर्थ चंद्र ग्रहण दिखाई देता है उन्हें उपप्रच्छाया कहते हैं।
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