बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति ऊर्जा की मांग बढ़ते जा रही है, खासतौर पर परंपरागत स्रोत वाले ऊर्जा की मांग। भारत में ऊर्जा की खबत 12% प्रतिवर्ष से अधिक की दर से बढ़ रही है। ऊर्जा की कमी के कारण बार-बार बिजली का काटना, लोड ट्रेडिंग, कारखाने का बंद होना इन सबको देखा जा रहा है। जिसके कारण कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन घट गया है।
विकसित देशों की तुलना में भारत प्रति व्यक्ति बिजली की खपत बहुत कम है। उदाहरण के लिए भारत में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 350 किलोवाट घंटा है जबकिविश्व औसत 1000 किलोवाट घंटा है। भारत में कोयले के भंडार का वितरण असामान्य है। इसीलिए उनका परिवहन ताप बिजली संयंत्र से अधिक मांगा है। ऊर्जा के क्षेत्र का प्रबंधन तथा बिजली घरों की कम क्षमता मजदूरों की समस्या बिजली की चोरी तथा बिजली की बर्बादी ने देश में ऊर्जा की समस्या को अधिक गहरा कर दिया है।
ऊर्जा संरक्षण के उपाय इस प्रकार है ;-
- गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत के विकास पर बोल देना
- ऊर्जा की खपत में कटौती करना
- विद्युत क्षेत्र का निजीकरण करना
- बिजली की चोरी के लिए सख्तदंड देना
- ऊर्जा की खपत में कटौती करना
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