भारत में विभिन्न प्रकार के भू आकृति जलवायु और वनस्पति पाए जाते हैं जिसके कारण भारत में विभिन्न प्रकार की मिट्टी पाई जाती है।
भारत में लगभग 8 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है जो इस प्रकार है
i.
जलोढ़ मिट्टी
ii.
काली मिट्टी
iii.
लाल या पीली मिट्टी
iv.
लेटराइट मिट्टी
v.
वन एवं पर्वतीय मिट्टी
vi.
शुष्क एवं मरुस्थलीय मिट्टी
vii.
लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी
viii.
पीट एवं दलदल युक्त मिट्टी
जलोढ मिट्टी- जलोढ़ मिट्टी देश के लगभग 40% भाग पर स्थित है
। इस मिट्टी में पोटाश चुने की प्रचुरता पाई जाती है जबकि फास्फोरस नाइट्रोजन एवं
ह्यूमस की कमी होती है। जो पश्चिम में सतलुज नदी से पूर्व में ब्रह्मपुत्र घाटी तक
फैला हुआ है।
जलोढ़ मिट्टी का विभाजन निम्न प्रकार से किया गया है -
·
नवीन जलोढ़ मिट्टी या खादर
·
प्राचीन जलोढ़ मिट्टी या बांगर मिट्टी
·
तराई मिट्टी
·
तटीय जलोढ़ मिट्टी
·
डेल्टाई जलोढ़ मिट्टी
काली मिट्टी - काली मिट्टी को रेगुर मिट्टी भी
कहते हैं । इस मिट्टी में लोहा चुना कैल्शियम पोटाश अल्युमिनियम और मैग्नीशियम की
प्रचुरता पाई जाती है जबकि नाइट्रोजन फास्फोरस और जैव पदार्थों की कमी होती है। यह
मिट्टी कपास, गेहूं, ज्वार, अलसी, सरसों, तंबाकू, मूंगफली आदि फसलों के लिए उपजाऊ
होता है । इस मिट्टी का विस्तृत महाराष्ट्र, पश्चिम मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र
प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ है।
लाल मिट्टी - इस मिट्टी में लोहा अल्युमिनियम एवं चुना अधिक पाए
जाते हैं जबकि इसमें फास्फोरस नाइट्रोजन और ह्यूमस की कमी होती है। यह मिट्टी तमिलनाडु,
कर्नाटक, दक्षिण महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, छोटा नागपुर में
पाया जाता है। यह मिट्टी लाल रंग का होता है, क्योंकि इसमें लौह ऑक्साइड पाया जाता
है। सिंचाई का उपयोग करके इस मिट्टी में कपास, गेहूं, दाल, तंबाकू और मूंगफली जैसे
फसल को उगाई जा सकती हैं।
लेटराइट मिट्टीलेटराइट मिट्टी - इस प्रकार के मिट्टी उच्च तापमान और क्रमिक अर्थ एवं शुष्क ऋतुओं वाले
क्षेत्रों में विकसित होती है। इस मिट्टी में लौह ऑक्साइड और अल्युमिनियम की
अधिकता होती है जबकि ह्यूमस, नाइट्रोजन, फास्फोरस और चुना की कमी होती है। इस
मिट्टी में राय, गन्ना, दाल, चाय, कहवा और काजू जैसे फसल को उपजाया जाता है। यह मिट्टी कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश तथा उड़ीसा
और असम के पहाड़ी क्षेत्रों तक फैला हुआ है।
वन एवं पर्वतीय मिट्टी - इस प्रकार की मिट्टी में जीवाश्म
और जैविक पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जबकि पोटाश, चुना एवं फास्फोरस
की कमी होती है। इस प्रकार की मिट्टी जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल
प्रदेश आदि के यहां हिमालय भागों में पाई जाती है।
शुष्क एवं मरुस्थलीय मिट्टी – इस प्रकार के मिट्टी शुष्क एवं अर्द्धशुष्क
जलवायु दिशाओं पाया जाता है । इस प्रकार की मिट्टी का विकास वहाँ होता है जहां की
औसत वार्षिक वर्षा 50
सेंटीमीटर से कम होता है। इस प्रकार की मिट्टी में घुलनशील लवणों का
प्रतिशत अधिक होता है। जबकि नमी और ह्यूमस की मात्रा कम होती है। इस प्रकार की
मिट्टी राजस्थान, दक्षिण पश्चिमी पंजाब, तथा दक्षिण पश्चिम हरियाणा में पाई जाती
है।
लावण्या एवं क्षारीय मिट्टी - लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी को
उसर मिट्टी भी कहते हैं। इस प्रकार की मिट्टी में सोडियम पोटैशियम और मैग्नीशियम
का अनुपात अधिक होता है। इस प्रकार की मिट्टी राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा,
पंजाब एवं महाराष्ट्र जैसे शुष्क क्षेत्र में पाया जाता है। इस प्रकार की मिट्टी
में चावल, चावल, जामुन, अमरूद, तंबाकू की
खेती की जा सकती है।
पीट एवं दलदल युक्त मिट्टी – इस प्रकार के
मिट्टी में सबसे अधिक जैव पदार्थ के संचालन से बनती है। इस प्रकार की मिट्टी में
लवण और जैविक की अधिकता होती है। यह मिट्टी अम्लीय होती है इसमें फास्फेट और पोटाश
की कमी देखी जाती है। यह मिट्टी तमिलनाडु राज्य के कुछ क्षेत्र में पाई जाती है।
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