ताज का शासन
1858 से 1947 तक
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By Vinod Kumar
भारत शासन अधिनियम - 1919
यह अधिनियम भारत में पूर्ण उत्तरदाई सरकार के गठन में एक मील का पत्थर साबित हुआ । यह एक लंबा और विस्तृत दस्तावेज जिसमें 321 धाराएं और 10 अनुसूचियां थी ।
अधिनियम की विशेषताएं -
अखिल भारतीय संघ की स्थापना
प्रांतों में द्वैध शासन व्यवस्था समाप्त तथा प्रांतीय स्वायत्तता का शुभारंभ हुआ ।
राज्यों में उत्तरदाई सरकार की स्थापना ज्ञान गवर्नर विधान परिषदों के लिए उत्तरदाई मंत्रियों की सलाह पर काम करना आवश्यक है ।
यह व्यवस्था 1937 मे शुरू की गई और 1939 मे इसे समाप्त कर दिया गया ।
केंद्र में द्वैध शासन प्रणाली का शुभारंभ परिमाणतः संघीय विषयों को स्थानांतरित और आरक्षित विषयों में विभक्त करना पड़ा ।
इसने 11 राज्यों मे से छह मे द्विसदनीय व्यवस्था प्रारंभ किया ।
इस प्रकार बंगाल , बंबई , मद्रास , बिहार , संयुक्त प्रांत और असम मे द्विसदनीय विधान परिषद और विधानसभा बन गई ।
इसने मताधिकार का विस्तार किया लगभग 10 प्रतिशत जनसंख्या को मत का अधिकार मिल गया ।
भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई ।
संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना और प्रांतीय सेवा आयोग और दो या अधिक राज्यों के लिए संयुक्त सेवा आयोग की स्थापना की गई ।
इसके तहत 1937 ई मे संघीय न्यायालय की स्थापना की गई ।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 -
20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लींमेट एटली ने घोषणा किया की 30 जून , 1947 को भारत मे ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाएगा ।
3 जून , 1947 को वायसराय लॉर्ड माउण्टबेटन ने विभाजन की योजना पेश की जिसे माउंट बेटन योजना कहा गया ।
वायसराय का पद समाप्त कर दिया गया और उसके स्थान पर गवर्नर के पद का सृजन किया गया ।
इस कानून ने ब्रिटेन मे भारत का सचिव पद समाप्त कर दिया ।
15 अगस्त, 1947 से भारतीय रियासतों पर ब्रिटिश संप्रभुता की समाप्ति की भी घोषणा किया गया ।
शाही उपाधि को “ भारत का सम्राट “ शब्द कर दिया गया ।
भारत के राज्य सचिव द्वारा सिविल सेवा मे नियुक्त करने पदों मे आरक्षण करने की प्रणाली को समाप्त कर दिया गया ।
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