आग्नेय चट्टान - वे समस्त पदार्थ जिनमे भू पर्पटी का निर्माण ग्रेनाइट के भांति कठोर या चीका अथवा मृदा की भांति मुलायम होते वें चट्टान कहलाते है । चट्टानों ( शैलो) के विज्ञान को पेट्रोलॉजी कहते है ।
चट्टानों का वर्गीकरण निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया है ।
आग्नेय चट्टान - पृथ्वी के आंतरिक भाग में मैग्मा एव लावा के ठंडा होने से आग्नेय चट्टान का निर्माण होता है ।
आग्नेय चट्टान की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित् है
ये कठोर , स्थूल व संहत होती है ।
इनमे जीवाश्म , रंध्र तथा परते नहीं पाए जाते है ।
इसमें जल आसानी से प्रवेश नही कर पाते है ।
इनमे रवे पाए जाते है ,जिनका आकार मैग्मा के शीघ्र ठंडा होने की गति पर निर्भर करता है ।
मैग्मा के शीघ्र ठंडे होने से रवे छोटे तथा देर से ठंडे होने से रवे बड़े बनते है ।
आग्नेय चट्टानों का वर्गीकरण
अम्लीय आग्नेय चट्टान : इस चट्टान में सोडियम , पोटैशियम एव एल्यूमिनियम की अधिकता पाई जाती है । इसका घनत्व कम एवं रंग हल्का होता है । इसमें सिलिका की मात्रा 65% से 50% तक होती है। ग्रेनाइट तथा ऑब्सिडियन इसके प्रमुख उदाहरण है।
क्षारीय आग्नेय चट्टान : इस चट्टान में लोहा मैग्निशियम तथा चूना की अधिकता पाई जाती है। इसमें सिलिका की मात्रा 40 से 60% तक होती है । इस कारण रंग हल्का गहरा होता है तथा घनत्व अधिक होता है । बेसाल्ट तथा ग्रैबो इसके प्रमुख उदाहरण है।
2. अवसादी चट्टान : अवसादी चट्टान का निर्माण उन पदार्थों से हुआ है जिन्हें अनाच्छादन के साधनों जैसे नदी, वायु, हिमनद आदि घटकों से हुआ है । अवसादी चट्टानें भूपर्पटी के पूरे आयतन का मात्र 5% फिर भी धरातल के 75% भाग को घेरे हुए हैं।
अवसादी चट्टान के प्रमुख विशेषताएं
अवसादी चट्टानों में जीव जंतुओं तथा वनस्पति के जीवाश्म मिलते है I
इन चट्टानों में परते स्पष्ट दिखाई देती है इसी कारण इन्हें स्तरीय चट्टानों के नाम से जाना जाता है I
अवसादी चट्टानें छिद्रमय होती है I
बालू अथवा बाजारी प्रधान चट्टानों में छिद्र बड़े तथा चीका प्रधान चट्टानों में छिद्र छोटे होते है I
छिद्रों के कारण इसमें पानी सुगमता से प्रवेश करती है I
ये चट्टानें आग्नेय चट्टानों की अपेक्षा नरम होती है और जल्दी टूट - फुट जाती है I
अवसादी चट्टानों का वर्गीकरण निम्नलिखित तीन प्रमुख समूह में दिया गया है
यांत्रिक रूप से निर्मित अवसादी चट्टानें इस चट्टान में समुद्र में रहने वाले जीव जंतुओं के अवशेष होते हैं समुद्री जीव जंतुओं की मृत्यु के बाद उनके अस्थि पंजर समुद्र के नीचे तल पर धीरे-धीरे निहित होते हैं यही अवसादी चट्टानों का निर्माण करते हैं I जैसे बालूकाशम शैल
कार्बनिक रूप से निर्मित अवसादी चट्टानें कार्बनिक तत्व की प्रधानता होती है वनस्पति तथा जीव जंतु के मिट्टी के नीचे दबे होने से होता है जैसे खड़िया चुम्मा चूना पत्थर कोयला इत्यादि
रासायनिक रूप से निर्मित चट्टानें जिप्सम शोरा तथा सेंधा नमक जैसे रसायनिक पदार्थ के घोल जमा होने एवं वाष्पीकृत होकर बचे अवशेष से अवसादी चट्टान का रूप धारण कर लेते हैं जैसे डोलोमाइट , पोटाश I
अवसादी चट्टानें लौह अयस्क फॉस्फेट शैल चक्र इमारती पत्थर संगमरमर कोयला एवं सीमेंट बनाने वाले पदार्थों का शार्ट अवसादी चट्टान ही है I
3. रूपांतरित चट्टान - परतदार शैल तथा आग्नेय शैल के परिवर्तन को ही रूपांतरित चट्टान कहते हैं I
रूपांतरित चट्टान को को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है
अवसादी चट्टानों से रूपांतरित चट्टानें इसके अंतर्गत अवसादी शैल सेल तथा चीका का स्लेट ,चूना पत्थर का संगमरमर तथा बालुका पत्थर का क्वार्ट्ज आदि में रूपांतरित हो जाता है इस सेल को पारा मेटामोर्फिक भी कहते हैं I
आग्नेय शैल से रूपांतरित चट्टानें जब आग्नेय चट्टानों का रूपांतरण होता तो उसे आग्नेय रूपांतरित शैल भी कहते है I जैसे ग्रेनाइट से निस का निर्माण I
If you have any doubts, Please let me know.