बायोगैस एक नवीकरणीय ऊर्जा है जो जैविक कचरे जैसे गोबर, कृषि अवशेष आदि से उत्पन्न होती है और यह स्वच्छ, प्रदूषण-मुक्त ऊर्जा प्रदान करती है। बायोगैस प्लांट में डाइजेस्टर व गैस होल्डर जैसे घटक शामिल होते हैं, जहां जैविक कचरे को डालकर गैस बनाई जाती है।
बायोगैस का सचित्र वर्णन
बायोगैस प्लांट में मुख्य रूप से एक डाइजेस्टर (जहां कचरा डाला जाता है) और गैस टैंक (गैस संग्रहण के लिए) होते हैं।
डाइजेस्टर को सील बंद रखा जाता है ताकि अंदर एनारोबिक प्रक्रिया हो सके।
इस प्रक्रिया में मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड व थोड़ी मात्रा में अन्य गैसें बनती हैं जो ईंधन के रूप में उपयोग होती हैं।
बायोगैस के लाभ
पर्यावरण के अनुकूल: लकड़ी व अन्य जीवाश्म ईंधनों के विकल्प के रूप में इस्तेमाल होने पर पेड़ों की कटाई कम होती है और वायु प्रदूषण भी घटता है।
स्वास्थ्य लाभ: इससे धुएं का उत्सर्जन कम होता है, जिससे महिलाओं व गृहणियों का स्वास्थ्य सुधरता है।
उर्वरक उत्पादन: प्लांट से निकली स्लरी एक बेहतरीन जैविक खाद है, जो खेतों में उपज बढ़ाती है।
ऊर्जा स्वतंत्रता: ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की कमी दूर होती है और किसानों को नई ऊर्जा मिलती है।
ग्रीनहाउस प्रभाव कम: बायोगैस उत्पादन से मीथेन जैसी हानिकारक गैसों का नियंत्रित उत्सर्जन होता है।
बहुपयोगी: इसका इस्तेमाल खाना पकाने, बिजली उत्पादन, वाहन ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है।
बायोगैस की हानि
संयंत्र लागत: बायोगैस प्लांट स्थापित करने में प्रारंभिक लागत अधिक होती है।
रख-रखाव: संयंत्र को नियमित जांच, सफाई एवं मरम्मत की आवश्यकता होती है, जिससे खर्च बढ़ता है।
कच्चे माल की आवश्यकता: लगातार पर्याप्त जैविक कचरा उपलब्ध होना जरूरी है, जो हर जगह संभव नहीं है।
गैस की मात्रा सीमित: बायोगैस उत्पादन सीमित है, इसलिए बड़े पैमाने के औद्योगिक उपयोग के लिए पर्याप्त नहीं होता।
गंध समस्या: कुछ क्षेत्रों में बायोगैस प्लांट से दुर्गंध फैल सकती है, जिससे आस-पास के लोगों को असुविधा हो सकती है।
निष्कर्ष
बायोगैस ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों के लिए पर्यावरण के अनुकूल, स्वच्छ और लाभकारी ऊर्जा स्रोत है; हालांकि प्रारंभिक लागत, रख-रखाव और कच्चे माल की निर्भरता इसकी प्रमुख चुनौतियाँ हैं।

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