बिहार में पंचायती राज
परिचय
बिहार में पंचायती राज व्यवस्था एक त्रिस्तरीय प्रणाली है, जिसमें ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद शामिल है। इस व्यवस्था को 73वें संविधान संशोधन 1992 के तहत संवैधानिक मान्यता मिली है और बिहार में इसे बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 द्वारा लागू किया गया है।
महत्वपूर्ण बिंदु
- 1947 ईस्वी में बिहार में पंचायती राज व्यवस्था के संबंध में अधिनियम बनाया गया ।
73वें संविधान संशोधन के बाद बिहार सरकार में बिहार पंचायती राज अधिनियम 1992 में लागू किया ।
पंचायती राज व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाने के लिए बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 लागू किया गया । जिसके अधीन ग्राम सभा, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद आते है ।
पंचायती राज्य के तीन स्टार है ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद ।
बलवंत राय मेहता के सिफारिश के अनुरूप त्रि - स्तरीय व्यवस्था 2001 ईश्वर से कार्यरत हुआ ।
ग्राम सभा
पंचायती राज व्यवस्था की सबसे निचली और मौलिक इकाई ग्राम सभा होती है ।
ग्राम सभा की बैठक के लिए दो बैठकों के बीच का अंतराल 3 माह से अधिक नहीं होना चाहिए और 1 वर्ष में कुल चार बैठक होना अनिवार्य होता है।
ग्राम सभा के बैठक का आयोजन मुखिया द्वारा कराया जाता है।
ग्राम सभा कोरम कुल सदस्यों का 1/ 20 भाग होता है।
ग्राम सभा की प्रत्येक बैठक की अध्यक्षता ग्राम सभा के मुखिया द्वारा की जाती है ।
मुखिया की अनुपस्थिति में ग्राम सभा की अध्यक्षता उप मुखिया करता है।
ग्राम पंचायत
ग्राम पंचायत का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है।
ग्राम पंचायत का चुनाव उसके विघटन के 6 माह के अंदर पूरा कर लिया जाता है।
इसमें मुखिया का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होता हैजबकि मुखिया का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है ।
उप मुखिया का चुनाव वार्ड सदस्यों के बहुमत द्वारा होता है।
वार्ड सदस्य अपना त्यागपत्र मुखिया को देता है।
मुखिया और उप मुखिया अपना त्यागपत्रजिला पंचायती राज अधिकारी कोदेता है।
ग्राम कचहरी
ग्राम कचहरी का प्रधान सरपंच होता है।
सरपंच को प्रत्यक्ष मतदान द्वारा निर्वाचित किया जाता है।
निर्वाचित पंच सदस्य एवं सरपंचअपने में से एक उपसरपंच का चुनाव अप्रत्यक्ष मतदान द्वारा करते हैं।
सरपंच और उपसरपंच अपना त्यागपत्र जिला पंचायती राज पदाधिकारी को सकता है।
ग्राम कचहरी का कोई पांच अपना त्यागपत्र स्वलिखित आवेदन द्वारा सरपंच को देता है ।
पंचायत समिति
पंचायत समिति सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष मतदान द्वारा होता है।
पंचायत समिति प्रखंड स्तर पर होता है।
पंचायत समिति सदस्य निर्वाचन उपरांत अपने सदस्यों में से प्रमुख एवं खुद प्रमुख का चुनाव करते हैं।
प्रमुख एवं उप प्रमुख का चुनाव पंचायत समिति सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष मतदान द्वारा किया जाता है।
प्रमुख अपना त्यागपत्र लिखित रूप में अनुमंडल डंडा अधिकारी को देता है।
उप प्रमुख अपना त्यागपत्रप्रमुख को देता है ।
पंचायत समिति का सदस्य अपना त्यागपत्र हुआ लेकिन रूप से प्रमुख को देता है।
जिला परिषद
जिला स्तर पर जिला परिषद होती है।
जिला परिषद ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति के लिए नीति निर्धारण एवं मार्गदर्शन का काम करती है।
जिला परिषद के निर्वाचित सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष एवं एक उपाध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष मतदान द्वारा होता है ।
अध्यक्ष अपना त्यागपत्रजिला दंडाधिकारीको देता है जबकि उपाध्यक्ष अपना त्यागपत्र अध्यक्ष को देता है
जिला परिषद सदस्य अपना त्यागपत्र अध्यक्ष को देता है।
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