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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग / National Human Rights Commission

 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक निकाय है ना कि संवैधानिक निकाय । इसका गठन संसद मे पारित अधिनियम के अंतर्गत हुआ था । जिसका नाम मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 था । इसे 2006 मे संशोधित किया गया । इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है ।  यह एक बहु - सदस्यीय संस्था है, जिसमे एक अध्यक्ष( कोई सेवानिवृत मुख्य न्यायधीश ) और चार सदस्य होते है । इसके आयोग के अध्यक्ष और सदस्य कि नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री के नेतृत्व मे गठित छह सदस्यीय समिती कि सिफारिश पर होती है । इनमें पूर्णकालिक सदस्यों के अतिरिक्त आयोग में चार अन्य पदेन सदस्य भी होते हैंराष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग राष्ट्रीय अनुसूचित जाति व राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोगऔर राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष। आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्षअथवा जब उनकी उम्र 70 वर्ष होका तक होता हैअपने कार्यकाल के पश्चात आयोग के अध्यक्ष व सदस्य केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार में किसी भी पद के योग नहीं होते हैं। 

इस आयोग के स्थापना का मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है - 

  • संस्थागत व्यवस्थाओं को मजबूत करना, जिसके द्वारा मानवधिकार के मुद्दों का पूर्ण रूप मे समाधान किया जा सके । 

  • अधिकारों के अतिक्रमण को सरकार से स्वतंत्र रूप मे इस तरह से देखना ताकि सरकार का ध्यान उसके द्वारा मानवाधिकारों कि प्रतिबद्धता पर केंद्रित किया जा सके । 

  • इस दिशा मे किए प्रयासों को पूर्ण व सशक्त बनाना । 

आयोग का कार्य ; - 

  • मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करना अथवा किसी लोक सेवक के समझ प्रस्तुत मानवाधिकार उल्लंघन की प्रार्थना जिसकीवह अभिलाना करता होया न्यायालय के आदेश से करना

  • न्यायालय में लंबित किसी मानवाधिकार से संबंधित कार्यवाही में हस्तक्षेप करना

  • जेल में जाकर वहां की स्थिति का अध्ययन करनाऔर इस बारे में सिफारिश करना

  • मानवाधिकार की रक्षा हेतु बनाए गए संवैधानिक और विधिक अपबंधों की समीक्षा करना तथा उनके प्रभावी कार्यान्वन हेतु उपाय की सिफारिश से करना

  • आतंकवाद सहित उन सभी कर्ण की समीक्षा करना जिसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है तथा इनसे बचाव के उपायों की सिफारिश करना

  • मानवाधिकारों से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय संधियोंऔर दस्तावेजों का अध्ययनऔर उनको प्रभावशाली तरीके से लागू करने हेतु सिफारिश करना

  • मानवाधिकारों के क्षेत्र में शोध करना और इसे प्रोत्साहित करना

  • ऐसे आवश्यक कार्यों को करना जो कि मानवाधिकारों के प्रचार के लिए आवश्यक हो

  • लोगों के बीच मानवाधिकारों की जानकारी फैलाना और उनकी सुरक्षा के लिए उपलब्ध उपाय के प्रति जागरूक करना

  • मानवाधिकारों के क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों की सराहना करना




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