विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा 1989 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य जनसंख्या के मुद्दों की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना और उनके समाधान की दिशा में प्रयास करना है।
उद्देश्य:
1. जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण: बढ़ती जनसंख्या के प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाना और इसके नियंत्रण के उपायों को प्रोत्साहित करना।
2. स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता: महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
3. शिक्षा और जागरूकता: विशेष रूप से महिलाओं की शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना ताकि वे परिवार नियोजन के महत्व को समझ सकें।
4. पर्यावरण संरक्षण: जनसंख्या वृद्धि के पर्यावरण पर प्रभावों के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
प्रमुख मुद्दे:
1. जनसंख्या विस्फोट: अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि से संसाधनों पर बढ़ते दबाव को कम करने के उपाय।
2. परिवार नियोजन: प्रभावी परिवार नियोजन सेवाओं और गर्भ निरोधक उपायों की पहुंच।
3. लैंगिक समानता: महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता को बढ़ावा देना, ताकि महिलाएं परिवार नियोजन के फैसलों में समान भागीदार बन सकें।
4. स्वास्थ्य और शिक्षा: गर्भावस्था के दौरान और बाद में महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, और बच्चों की शिक्षा की स्थिति में सुधार।
इतिहास:
विश्व जनसंख्या दिवस का विचार 11 जुलाई 1987 को 'फाइव बिलियन डे' के मौके पर आया, जब दुनिया की जनसंख्या ने 5 अरब का आंकड़ा पार किया था। इस दिन को मनाने का उद्देश्य था लोगों को यह याद दिलाना कि जनसंख्या के मुद्दे हमारे समाज और पर्यावरण के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।
मौजूदा स्थिति:
2024 में, विश्व जनसंख्या दिवस का फोकस उन उपायों पर है जो हमें स्थिर और स्वस्थ जनसंख्या प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। वर्तमान में, दुनिया की जनसंख्या लगभग 8 अरब के करीब है, और इसके साथ ही कई सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियां जुड़ी हैं।
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