चंद्रयान-1:
1. लॉन्च: चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने लॉन्च किया।
2. मिशन का उद्देश्य: चंद्रमा की सतह का विस्तृत नक्शा तैयार करना और चंद्रमा की सतह के रासायनिक और खनिज संरचना का अध्ययन करना।
3. उपलब्धियां:
- चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं का पता लगाना।
- चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ की उपस्थिति की पुष्टि करना।
4. समाप्ति: 29 अगस्त 2009 को इसरो ने मिशन को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया।
- प्रक्षेपण यान: इसे PSLV-C11 द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।
- वजन: 1380 किलोग्राम।
- प्राथमिक उपकरण: 11 वैज्ञानिक उपकरण, जिनमें से 6 भारतीय और 5 अंतर्राष्ट्रीय योगदान से थे।
- महत्वपूर्ण खोजें: चंद्रमा की सतह पर हाइड्रॉक्सिल (OH) और जल (H2O) के अणुओं की खोज ने वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को चौंका दिया।
चंद्रयान-2:
1. लॉन्च: चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया।
2. मिशन का उद्देश्य: चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में लैंडर और रोवर को उतारना और वहां के भूवैज्ञानिक और रासायनिक संरचना का अध्ययन करना।
3. उपकरण: ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर, और प्रज्ञान रोवर।
4. उपलब्धियां:
- ऑर्बिटर ने चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया और वहां से महत्वपूर्ण डेटा भेजा।
- हालांकि, लैंडर का संपर्क सतह पर उतरते समय खो गया, लेकिन ऑर्बिटर अभी भी कार्यशील है और डेटा भेज रहा है।
- प्रक्षेपण यान: GSLV Mk III-M1।
- वजन: लगभग 3850 किलोग्राम।
- ऑर्बिटर का कार्यकाल: चंद्रमा की कक्षा में 7.5 साल तक कार्य करने की क्षमता।
- विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर: लैंडर का वजन 1471 किलोग्राम और रोवर का वजन 27 किलोग्राम था।
- ऑर्बिटर की उपलब्धियां:
- चंद्रमा की विस्तृत मैपिंग और सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें।
- चंद्रमा के बाहरी वातावरण का अध्ययन और चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास की बेहतर समझ।
चंद्रयान-3:
1. लॉन्च: चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया।
2. मिशन का उद्देश्य: चंद्रयान-2 की असफलता से सीखते हुए, चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडर और रोवर को उतारना।
3. उपकरण: केवल लैंडर और रोवर, ऑर्बिटर नहीं।
4. उपलब्धियां:
- 23 अगस्त 2023 को लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरकर इतिहास रचा।
- लैंडर और रोवर दोनों ने चंद्रमा की सतह पर विभिन्न वैज्ञानिक परीक्षण और डेटा संग्रह किए।
- प्रक्षेपण यान: LVM-3 (जीएसएलवी मार्क III)।
- वजन: लैंडर मॉड्यूल का वजन 1749.86 किलोग्राम और रोवर का वजन 26 किलोग्राम।
- लैंडर और रोवर के उपकरण:
- लैंडर पर चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने वाले विभिन्न वैज्ञानिक उपकरण थे, जैसे चंद्रा's रेंजिंग और थर्मल प्रॉपर्टीज़ इंस्ट्रूमेंट।
- रोवर पर कैमरे और स्पेक्ट्रोमीटर थे जो चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करते थे।
- विशेष उपलब्धि: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहली सफल लैंडिंग, जो अब तक की सबसे चुनौतीपूर्ण और महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है।
- वैज्ञानिक विकास: चंद्रयान मिशनों ने भारत को चंद्र विज्ञान में अग्रणी देशों में शामिल किया।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदायों और एजेंसियों के साथ सहयोग बढ़ाया।
- प्रेरणा स्रोत: भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।
If you have any doubts, Please let me know.