ऊर्जा आर्थिक विकास का एक आवश्यक निवेश है जो जीवन स्तर में सुधार लाता है ऊर्जा को दो भागों में विभाजित किया गया है
- परंपरागत ऊर्जा (कोयला, पेट्रोलियम ,प्राकृतिक गैस तथा विद्युत)
- गैर परंपरागत ऊर्जा ( सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा भू तापीय और बायोगैस ऊर्जा)
ऊर्जा को गैर वाणिज्यिक ऊर्जा तथा वाणिज्य ऊर्जा में भी वर्गीकृत किया गया है।
- गैर वाणिज्यिक ऊर्जा (ईंधन लकड़ी , काठकोयला, सुखा हुआ गोबर पशु उत्सर्जन तथा पशु शक्ति।
- वाणिज्यिक ऊर्जा (कोयला ,खनिज तेल ,प्राकृतिक गैस, जल विद्युत नाभिकीय ऊर्जा पवन ऊर्जा तथा सौर ऊर्जा)
कोयला भारत का मूल ऊर्जा स्रोत है तथा इसका देश के सकल वाणिज्य ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति में 70% हिस्सा है। भारत का अनुमानित सकल कोयला भंडार अभी लगभग 302 बिलियन है। भारत में कोयला का मुख्य भंडार झारखंड, ओडिशा ,छत्तीसगढ़ ,पश्चिम बंगाल ,मध्य प्रदेश ,तेलंगाना तथा महाराष्ट्र है।
भारत में कोयले को दो वर्गों में बांटा जा सकता है
- गोंडवाना कोयला -
- गोंडवाना कोयला कार्बोनिफेरस काल का कोयला है।
- यह दामोदर, महानदी, गोदावरी तथा नर्मदा घाटियों में पाई जाती है।
- गोंडवाना शैल समूह के कुछ मुख कोयले की खान जैसे रानीगंज ,झरिया ,बोकारो ,रामगढ़ ,गिरिडीह ,चंद्रपुर करणपुरा ,तत्तापानी, तलचर ,हिमगिरी ,कोरबा ,पंचधातु , सरगुजा , कामपेटी, वर्धा घाटी ,सिंगरेनी तथा सिंगरौली।
- भारत में कोयले के भंडार का 98% गोंडवाना कार्य का कोयला है।
- गोंडवाना कोयला मुख्यता विटूमिनस तथा एथ्रासाइट सहित प्रकार का होता है। जिसमें कार्बन की मात्रा 60 से 90% के बीच होता है।
- विटूमिनस कोयले को लाहौर एवं इस्पात उद्योग में इस्तेमाल करने से पहले कोख में परिवर्तित किया जाता है विटूमिनस कोयला सर्वोत्तम कोयला माना जाता है।
- 2. तृतीयक कोयला -
- यह कोयला तृतीयक युग के आधुनूतन ओलिगोसिन युग के शैलो में पाया जाता है।
- यह कोई लाभ 15 से 60 मिलियन वर्ष पुराना है।
- इस कोयले को भूरा कोयला भी कहा जाता है। यह कोयला भारत के कुल कोयला उत्पादन कम मात्र 2% है।
- लिग्नाइट कोयला अरुणाचल प्रदेश , असम, गुजरात, केरल ,जम्मू कश्मीर ,नागालैंड ,तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में पाया जाता है।
- भारत में लिग्नाइट कोयला का सबसे बड़ा भंडार तमिलनाडु में नवेली में है।
- पीट कोयले में नमी की मात्रा अधिक होती है । इसमें धुआं अधिक उठता है इसमें कार्बन की मात्रा 40% से भी कम होती है तथा इसलिए इस कोयले को सबसे निचले एवं निम्न कोटि का कोयला माना जाता है।
- लिग्नाइट कोयला पीट कोयले से उत्तम किस्म का कोयला है लिग्नाइट में 40 से 60% कार्बन की मात्रा होती है।
- विटूमिनस कोयला में कार्बन की मात्रा 60 से 80% के बीच होता है।
- एन्थ्रासाइट कोयला सबसे उच्च कोटि का कोई इलाज है इस में कार्बन की मात्रा 90% होती है।
कोयला उद्योग का मुख्य समस्याएं निम्नलिखित
- कोयले के भंडार के असमान वितरण भारत में कोयला मुख्यता झारखंड ,छत्तीसगढ़, उड़ीसा ,मध्य प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में पाया जाता है परिवहन व्यय अधिक होता है जिसके कारण यह ऊर्जा का स्रोत है।
- भारत के अधिकतर खाने गैर कोकिंग कोयले का उत्पादन करते हैं जिसका उपयोग धातु कर्मिय उद्योग में नहीं किया जा सकता।
- भारत में कोयले का परिवहन कोयले का परिवहन अधिकतर रेलगाड़ी द्वारा होता है। देश में माल की कमी है तथा रेल कम अवधि में अधिक दूरी तक कोयले का परिवहन करने में असक्षम है।
- भारत में खनन कितनी पुरानी है तथा अब प्रयुक्त है यह प्रति श्रमिक उत्पादन कम है । यहां पर 3 टन उत्पादन का मूल्य भी अधिक है।
- कोयले के खनन में विधुत शक्ति की कमी अवरोध है।
- खानों में तथा गर्त शीर्षो पर आग अथवा पानी के जमाव के कारण कोई लेकर भारी नुकसान होता।
कोयला का संरक्षण
- कोकिंग तथा उच्च कोटि के कोयले का उपयोग केवल धातुकर्मी उद्योग के लिए किया जाता है।
- निम्न दर्जे के कोयले को धोया जाना चाहिए तथा आधुनिक तकनीकों द्वारा इसकी और अशुद्धता को हटाया जाना चाहिए।
- चयनात्मक खनन को कानून द्वारा रोका जाना चाहिए सभी खानों में हरसंभव प्रकार के कोयले का खनन किया जाना चाहिए।
- पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित कानूनों का प्रभावी रूप से कार्य होना चाहिए।
- तापीय बिजली संयंत्र गर्त शीर्षो पर स्थित होने चाहिए ताकि विद्युत उत्पादन बढ़ाया जा सके।
- बिजली की चोरी रोकने की जानी चाहिए।
- कोयले के नए भंडार की खोज की जानी चाहिए।
- गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत रुको लोकप्रिय बनाना चाहिए।
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