मानव शरीर से संबधित प्रश्नोत्तर ( Human Body Questions and Answers)
1. मानव शरीर का पाचन मुखगुहा ( मुंह ) से शुरू हो जाता है I
2. मनुष्य में तीन जोड़ी लार ग्रंथि पायी जाती है , लार में “ टायलिन “ नामक एंजाइम पायी जाती है I
3. लार में मुख्यतः दो प्रकार के पाचक एंजाइम “टायलिन “और “ लाइसोजाईम “ पाए जाते है I
4. लार में मौजूद टायलिन भोजन के स्टार्च को डाईसैकराइड मल्तोस में तोड़ता है I
5. भोजन का 30 प्रतिशत स्टार्च या मंड का पाचन मुखगुहा में ही हो जाता है I
6. मनुष्य में कुल चार प्रकार के दांत पाए जाते है , कृंतक , रदनक , अग्रचवर्णक और चवर्णक
7. आगे के दो दांत को कृंतक , नुकीले दांत को रदनक , अग्रचवर्णक और चवर्णक को “ गाल दन्त “ या पिसने वाला भी दांत कहते है I
8. इनैमल मानव शरीर का सबसे कठोरत्तम भाग है I
9. मुखगुहा या मुंह के पिछले हिस्से को ग्रसनी कहा जाता है I
10. मुखगुहा से अमाशय तक के नाली को ग्रासनली कहा जाता है जो मुख से लारयुक्त भोजन को ग्रासनली में पहुंचता है I
11. अमाशय की भीतरी दीवार पर जठर ग्रंथिया ( अम्लीय ) पायी जाती है जिसका Ph मान 1.8 होता है I
12. म्यूकस जथर रस के अम्लीय प्रभाव को कम कर अमाशय की रक्षा करता है I
13. अमाशय में उपस्थित एक अन्य निष्क्रिय “ गैस्ट्रिक लाइपेज “ वासा का पाचन करके इसे ट्राईग्लिसराईड में बदल देता है I
14. HCL की उपस्थिति में निष्क्रिय “ प्रोरेनिन “ सक्रीय “ रेनिन “ में परिवर्तित हो जाता है I
15. HCL की उपस्थिति में “ पेप्सिनोजन “ सक्रीय पेप्सिन में बदल जाता है I
16. मनुष्य के अंत की लम्बाई 22 फीट होता है I तथा मनुष्य के अंत को दो भांगो में बांटा गया है , बड़ी आंत और छोटी आंत I
17. शाकाहारियों में अंत की लम्बाई अपेक्षाकृत अधिक होती है I
18. छोटी आंत को तीन भागो में बांटा गया है , ग्रहणी , अग्रक्षुदांत तथा क्षुद्रांत
19. अमाशय से निकलने के पश्चात भोजन “ अम्लान्न “ कहलाता है I
20. पित्त रस में किसी प्रकार का एंजाइम नही पाया जाता है I
21. क्षारीय प्रकृति का होने के कारण पित्त रस “ अम्लान्न “ को क्षारीय बना देता है I
22. छोटी अंत में भोजन के पूर्ण पाचन के उपरान्त , उसका अवशोषण भी छोटी में स्थित रसांकुर ( विल्ली ) द्वारा होता है I
23. छोटी आंत में भोजन पहुंचकर तीन पाचक रस ( पित्त रस , अग्न्याशय रस और आंत्र रस ) में मिला जाते है I
24. पित्त रस यकृत द्वारा स्रावित होता है जो पित्ताशय में संचित रहता है I
25. पित्त रस गाढ़ा ,हरे पीले रंग का हल्का क्षारीय द्रव्य होता है I
26. मनुष्य में प्रत्येक दिन लगभग 600 मिली पित्त रस स्रावित होता है I
27. पित्त रस में कोई भी पाचक एंजाइम नही पाया जाता है I
28. पित्त रस में पित्तवर्णक जैसे – विलिरुबिन , बिलीवर्दीन आदि पाए जाते है I
29. पित्त रस में दो लावन उपस्थित होते है सोडियम ग्लाईकोकोलेट और सोडियम तौरोकॉलेट भोजन में उपस्थित वस् अको जल के साथ मिलकर छोटी छोटी बूंदों में तोड़ देता है जिसे वसा का इम्लसीकरण कहते है I
30. विटामिन K ,E ,A ,D वासा में घुलन शील होते है जो पित्त रस के अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है I
31. अग्न्याशय रस क्षारीय होता है I जिसमे 2 प्रतिशत एंजाइम और लवण ( सोडियम बाई कार्बोनेट ) होते है बाकी जल होता है I
32. अग्नाशय में एमाईलेज , ट्रिप्सिन , काईमोट्रिप्सिन , कर्बोक्सीपेप्तिडेज , लाइपेज आदि एंजाइम पाए जाते है I
33. आंत्र रस हकला पीले रंग का हल्का द्रवीय होता है जो आंत्र ग्रंथियों द्वारा स्रावित होता है I
34. मनुष्य में लगभग 2 से 3 लीटर प्रतिदिन आंत्र रस स्रवित होते है I
35. आंत्र रस में मालतेज , सुक्रोज , लेक्टोज , इरेप्सिन एंजाइम पाया जाता है I
36. माल्टेज , माल्टोज को ग्लूकोज में बदल देता है I
37. सुक्रेज , सुक्रोज को ग्लूकोज तथा फ्रक्टोज में बदल देता है I
38. लेक्टोज , लेक्टोज को ग्लूकोज तथा गैलेक्टोज में बदल देता है I
39. इरेप्सिन , डाई तथा ट्राई पेप्टाईड ( प्रोटीन का अवयव ) को एमिनो अम्लो में तोड़ देता है I
40. बड़ी आंत की लम्बाई लगभग 9 फीट लम्बी तथा 2.5 इंच चौड़ी होती है I
41. बड़ी अंत छोटी की तुलना में अधिक चौड़ी लेकिन लम्बाई में छोटी होती है I
42. बड़ी आंत को तीन भागो में बांटा गया है , सिकम , वृहद्रांत , मलाशय
43. अपेंडिक्स मानव शरीर के बड़ी आंत में पाया जाता है I
44. बड़ी आंत कोई एंजाइम स्रावित नही करता है I
45. मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि यकृत ( लीवर ) होता है I
46. पित्ताशय लीवर से स्रावित होकर यकृत नलिका से होते हुए एक पतली पेशीय थैली ( पित्ताशय ) मके सांद्रित एवं जमा होता है I
47. यकृत ( लीवर )विटामिन A का संश्लेषण करती है I बाईल जूस एव यूरिया का संश्लेषण करती है , कार्बनिक पदार्थो का संग्रह , एंजाइमो का स्रवन , हिपेरिन का स्रवन आदि करता है I
48. यकृत ग्लूकोज को ग्लाईकोजन के रूप में संचित रखता है I
49. पित्त भोजन को सड़ने से रोकता है I
50. अधिक शराब सेवन करने से हेपेटाइटिस बी एव सी संक्रमण , विषाक्त धातुओं आदि के कारण यकृत सिरोसिस नामक रोग हो जाता है I



.jpg)
If you have any doubts, Please let me know.